जब घड़ी की खोज
हुई थी ना तब घड़ी में कितने बजे हैं यह हम जानते थे। आज ऐसा वक्त है की ना सिर्फ घड़ी का वक्त पता चलता है लेकिन जो घड़ी उसने पहनी है उसका भी वक्त पता चलता
है।
मतलब घड़ी से
सामने वाले की औकात पता चलती है। यह लोग कहते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। क्योंकि एक घड़ी से किसी की औकात नहीं परखाई जाती है। लेकिन आज इस पोस्ट में हम रोलेक्स वॉच की हिस्ट्री जानेंगे।
आखिर क्यों
रोलेक्स की घड़िया इतनी महंगी होती है क्योंकि आपको पता होगा कि रोलेक्स के एक-एक घड़ी लाखों-करोड़ों में बेची जाती है। आजकल रोलेक्स के घड़ियां उसकी कीमत से भी जानी जाती है।
Rolex Watch History |
250 से 500 वाली घड़ी भी हमको वक्त दिखा देती है। तो यह घड़ी इतनी महंगी क्यों होती है आज हम जानेंगे। रोलेक्स घड़ी की बात सुनने
पर ही हमें
महंगी महंगी घड़ियों की तस्वीरें दिखने
लगता है।
जब हम घड़ी की बात करते हैं तो सबसे पहला नाम हमें रोलेक्स का आता है।
शायद ही कुछ लोग ऐसे होगे की रोलेक्स के बारे में
उनको पता नहीं होगा।
ऐसा भी माना जाता है कि जो लोग रोलेक्स की घड़ी पहनते हैं
वह अमीर होते हैं। यहां पर काम करने वाले एंपलोएस प्रोफेशनल होते हैं। और
प्रोफेशनली से ही घड़ियों की डिजाइन की जाती है। सन 1881 में जर्मनी के छोटे से गांव में हैंस विल्सडोर्फ़ का जन्म हुआ।
उनकी उम्र जब 12 साल थी तब उन्होंने उनके
माता-पिता को खो दिया था। और अनाथ हो गए। कैसे भी करके उन्होंने अपनी पढ़ाई सरकारी
स्कूलों में करी। फिर उन्होंने शुरुआत की
पढ़ाई पूरी की। उनकी उम्र जब 19 साल की थी तब उन्होंने पहला कदम घड़ियालो कि दुनिया
में रखा।
पैसों का बहुत प्रॉब्लम
था। इसलिए उनके दोस्त ने अपनी पिताजी की जो कंपनी थी वहां पर हैंस विल्सडोर्फ़ नौकरी लगा दिया मतलब नौकरी दिलवा दी। 1903 में उन्होंने एक लंदन की कंपनी में घड़ी बनाने का काम शुरू कर दिया और वहां पर हैंस विल्सडोर्फ़ बहुत मेहनत की।
जानते थे कि एक
घड़ी कैसे बनती है। उन्होंने घड़ियाल की बारिक को समझा। 1905 में उन्होंने अपने साले अल्फ्रेड डेविस की मदद लेकर मतलब
फाइनेंसियल मदद लेकर Wilsdorf & Davis नाम की एक कंपनी की शुरुआत की। कंपनी शुरू होने के बाद
शुरुआत के दिन पर वह लोग बाहर के देशों में से उनकी घड़िया इंपोर्ट करके लाते थे।
Hans Wilsdorf ( हैंस विल्सडोर्फ़) |
लेकिन जैसे-जैसे
बिजनेस बढ़ता गया वैसे-वैसे उन्होंने खुद ही घड़िया बनाना शुरू कर दिया। 1908 में उन्होंने अपनी कंपनी का नाम रोलेक्स नाम से रजिस्टर कर
दिया। उसके बाद उन्होंने स्विजरलैंड में भी
अपना ऑफिस खोल दिया बिजनेस कैसे बढ़ाया जाता है वह उन्होंने हमको सिखाया है।
लेकिन 1919 में इंग्लैंड के गवर्नमेंट ने बहुत टैक्स बढ़ा दिया था और इसलिए उन्होंने लंदन वाला ऑफिस बंद कर
दिया। जिनेवा और स्विजरलैंड के ऑफिस मैं से काम जारी रखा। वैसे आज भी रोलेक्स का हेड क्वार्टर स्विजरलैंड में ही है।
History of Sardar Vallabhbhai Patel / Statue of unity Galaxy Facts for Kids (Galaxy facts) ratan tata |
उसके बाद 1926 में हैंस विल्सडोर्फ़ ने रोलेक्स के पहली वाटर प्रूफ घड़ी बनाएं। विल्सडोर्फ़ पहले से ऐसी घड़िया बनाने के लिए चाहते थे कि जिस घड़ी पर पहाड़ के फैक्टर का असर ना हो। उसके बाद रोलेक्स की घड़िया में कई बदलाव आए।
1945 मैं रोलेक्स ने ऐसी घड़ियां मार्केट में रखी थी जो वक्त के साथ-साथ तारीख भी दिखाती थी। उस घड़ियों को स्पेशल टेस्ट करके मार्केट में रखा जाता था।
जैसे हाई प्रेशर वॉटर टेस्ट हाई एटीट्यूड टेस्ट ऐसे कई सारे टेस्ट करके उस घड़ी को मार्केट में रखा जाता था। जब वह रोलेक्स की घड़ी सारे पैरामीटर पर खड़ी उतरती थी तब ही उसको मार्केट में रखा जाता था। मतलब सेलिंग के लिए आगे भेजा जाता था।
अब हम बात करते हैं कि उसकी घड़ियां इतनी महंगी क्यों होती है। रोलेक्स की घड़ियां कुछ हजार रुपए से शुरू करके लाखों-करोड़ों रुपए में आती है। सबसे महंगी रोलेक्स की घड़ियां पॉल न्यूमैन डेटोना की कीमत 17.8 मिलियन डॉलर मतलब इंडियन करेंसी के बारे में कहे तो 127 करोड़ 77 लाख 19 हजार होता है (127,77,19,000)।
इस घड़ी की इतनी कीमत करोड़ों में जाती है। इसकी वजह है खास उसको बनाने की कारीगरी है। रोलेक्स की घड़ियां बनाने का तरीका बहुत ही अनोखा है। कंपनी कहती है कि हमारी जो घड़ियां है वह एक साधारण घड़ियां नहीं है।
रोलेक्स कंपनी ने अपनी घड़ियों की रिसर्च के लिए एक अलग से लैब बनाया है। जहा पर यह लोग एक से एक अजीब इंस्ट्रूमेंट यूज़ करते हैं। इस घड़ि के लिए वहां पर घड़ी को बनाने के लिए बहुत ही बारीकी से काम करा जाता है।
कंपनी कहती है कि शायद ही दुनिया में घड़ि बनाने के लिए इतनी बारीकी से देखा जाता होगा और काम होता होगा। रोलेक्स मैकेनिक घड़ियां बनाता है। जहां पर इस छोटी सी घड़ि में इतने मशीनरी फिट करी जाती है। रोलेक्स कहती है कि इस कारीगरी के लिए ही उस घड़ी की कीमत बहुत हाई हो जाती है।
रोलेक्स की घड़ि हर परिस्थिति में चाहे वह समुंदर के बहुत फिट नीचे हो, कितने हाई प्रेशर में हो। तब भी वह बिल्कुल सटीक समय दिखाती है। चाहे वह माउंट एवरेस्ट जैसे ऊंचे पहाड़ पर हो इतने हाई एटीट्यूड वाली जगह पर हो तब भी उसके वक्त में कई बदलाव नहीं आता है।
सबसे पहले रोलेक्स ने अपनी घड़ि 1916 मैं समुद्र के अंदर बहुत फीट नीचे ले गया था। तब भी वह सटीक समय दिखा दी थी। सबमरीन घड़ी स्विमर लोगों के लिए बनाई गई थी। वह टेस्ट कर रहे थे और 1953 मैं पहली बार माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करने के लिए उन्होंने रोलेक्स की घड़ी पहनाई थी।
वहां पर हाई एटीट्यूड पर भी यह रोलेक्स ने अपना वक्त सही दिखाया था। तो यह सब उनकी कारीगरी है कि जहां पर जाओ वह अपना वक्त सटीक दिखा देती है। मतलब सही टाइम दिखाती है। यही उसकी ताकत है।
इनको बहुत बारीकी से बनाना पड़ता है क्योंकि उसको खराब होने के चांसेस बहुत ज्यादा है। कुछ महत्वपूर्ण साधन बनाने के लिए शायद वह लोग मशीनरी का उपयोग करते हैं। लेकिन बहुत ही कम मशीन से बनाते हैं।
Rolex Watch |
ज्यादातर वह आज भी हाथ से ही बनाते हैं। लेकिन यह बात है कि 1980 के पहले रोलेक्स के घड़िया इतनी नहीं होती थी। 1980 के बाद ही रोलेक्स की घड़िया की कीमत बहुत बढ़ गई है।
अब हम बात करते हैं रोलेक्स की घड़ी बनाने में जो मटेरियल यूज़ होता है। उससे भी रोलेक्स की घड़ी की कीमत बहुत ज्यादा हो जाती है।
रोलेक्स की घड़िया में 904 L स्टील यूज़ होता है। जो कि आप मार्केट में जो घड़ियां दिखते हो 316 L स्टील घड़ियां यूज़ होता है। 904 L स्टील जो कि वह महंगा होता है और उसकी साइनिंग अलग ही होती है।
इसके अलावा रोलेक्स की घड़ी में सोने और चांदी का भी यूज करा जाता है। सोने और चांदी को पिघल कर उसको रोलेक्स घड़ी में काफी जगह पर यूज़ किया जाता है। उस की ढाल बनाने के लिए भी सोने का इस्तेमाल करा जाता है।
रोलेक्स की घड़िया में जो नंबर होता है उसको बनाने के लिए स्पेशल काच और प्लेटिनम का यूज किया जाता है। उसमें चीनाई माटी का भी यूज़ किया जाता है। यह सब विशेषता के लिए रोलेक्स बहुत प्रसिद्ध है।
लेकिन इसी विशेषताओं के कारण ही रोलेक्स की घड़ी मार्केट में बहुत ही कम आती है। ऐसी हाई मशीनरी के लिए रोलेक्स के पास हाई सिक्योरिटी है। उनके पार्ट (भागों) को हाईटेक लॉकर में रखा जाता है।
रोलेक्स की कंपनी में हाईटेक लैब है। रोलेक्स की कीमत बहुत होने का कारण ये भी माना जाता है कि रोलेक्स कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी की पगार भी बहुत ज्यादा होती है। पर यह कर्मचारी का पगार बहुत होने की वजह यह भी है कि रोलेक्स एक ब्रांड है। रोलेक्स की सब घड़ियां हाथों से बनाई होती है।
रोलेक्स की हर एक घड़ी हाथों से बनाई होती है कंपनी दावा करती है कि एक घड़ी के अंदर इतने छोटे-छोटे मशीन होते हैं कि आप गीन भी नहीं सकते। मतलब कि सामने वाला गिनती भी भूल जाएगा। यह पार्ट (भागों) को बहुत ही बारीकी से उसकी जगह पर रखा जाता है।
रोलेक्स घड़ियां की पॉलिश भी हाथों से ही
होती है। इसी वजह से
रोलेक्स की घड़ी एक बनने के लिए 1
साल लग जाता है। यह बहुत बड़ी
बात है।
आप सोचो तो इतनी बड़ी कंपनी होने के बावजूद भी वह 1 दिन में दो हजार ही घड़ियां बनाती है और बाकी घड़ियां की
बात सोचो तो 8 से 10 लाख 1 दिन में घड़ी बनाती है। इतनी बड़ी कंपनी होने के सामने यह बहुत ही छोटा अंक है।
घड़ी की छोटी-छोटी कंपनी भी एक दिन में लाखो हजारों घड़िया बना
देती है। और रोलेक्स एक
साल में ही 8 से 10 लाख घड़ी बनाती है। क्योंकि हर घड़ी हाथों
से बनाई होती है। इसी वजह से ही रोलेक्स की घड़ीया
इतनी महंगी होती है।
हां, हमें प्रश्नों होगा की रोलेक्स की
फर्स्ट कॉपी भी बेची जाती है। लेकिन जो सही वाली रोलेक्स की घड़ी होती है ना उसमें
सेकंड काटा धीरे-धीरे से जाता है। और जो फर्स्ट
कॉपी होती है ना उसमें सेकंड काटा टक टक से जाता है। और जो सही वाली होती है ना उसमें वह स्मूथली जाता है।
दोस्तों मुझे
आशा है कि मैंने आप लोगों को जो भी रोलेक्स की वॉच के बारे में कहा उससे आपको पूरी जानकारी इस आर्टिकल से मिल गई होगी। आपके मन में कोई भी सवाल रोलेक्स की घड़ी के बारे में है तो हमें कमेंट के द्वारा बताएं। मैं आपको जवाब देने की पूरी कोशिश करूंगा।
यदि आपको मेरा यह पोस्ट अच्छा लगा है और इससे आपको कुछ सीखने को मिला है तो आप इसे WhatsApp, Facebook, Instagram, Twitter, Massage, Telegram, Reddit, linkedin, जैसे और भी सोशल मीडिया पर आगे की तरह शेयर कीजिए। जिससे इसकी जानकारी और भी लोगों को मिले और वह भी रोलेक्स के बारे में जाने।
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आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हो तो हमें कमेंट बॉक्स या सोशल मीडिया पर फॉलो करके सुझाव दे सकते हैं। इस पोस्ट को पढ़ने से आपको पता तो चल गया होगा कि आखिर रोलेक्स की घड़ी इतनी महंगी क्यों होती है।
इस पोस्ट के बारे में मेरे विचार (निष्कर्ष)
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इस पोस्ट के प्रश्नोत्तरी (FAQ Check List)
1. आखिर, रोलेक्स की घड़ी इतनी महंगी क्यों होती है?
Answer: रोलेक्स की घड़ी इसलिए महंगी होती है क्योंकि उसे हाथ से बनाया जाता है। और उसमें जो मटेरियल यूज़ होता है वह बहुत मूंगा होता है। (Rolex watches are expensive because they are made by hand. And the material it uses is very coral.)
2. रोलेक्स
इतिहास हिंदी में (rolex history in hindi)
Answer: सन 1881 में जर्मनी के छोटे से गांव में हैंस विल्सडोर्फ़ का जन्म हुआ। 1905 में उन्होंने अपने साले अल्फ्रेड डेविस की मदद लेकर मतलब
फाइनेंसियल मदद लेकर Wilsdorf & Davis नाम की एक कंपनी की शुरुआत की।
3. रोलेक्स
इतिहास और तथ्य (rolex history and facts)
Answer: किसी
अन्य कंपनी के पास रोलेक्स जैसी अच्छी घड़ी नहीं है। क्योंकि इसमें इस्तेमाल होने
वाली सामग्री बहुत महंगी है। (No
other company has such a good watch as the
Rolex. Because the material used in it is very expensive.)
4. सबसे सस्ती रोलेक्स की घड़ी कितने की होती
है (How much is the
cheapest Rolex watch)
Answer: सबसे कम कीमत वाला रोलेक्स घड़ी कम से कम
हजारों में देखा जाएगा।
(The lowest-priced Rolex will
be clocked at least in thousands.)
Wow
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